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जैनेन्द्र की मनोवैज्ञानिक कहानियां

           जैनेन्द्र हिन्दी साहित्य में प्रथम मनोवैज्ञानिक कथाकार के रूप में प्रतिष्ठित है। प्रेमचंद के बाद कथा साहित्य को एक नयी दिशा देने वाले जैनेन्द्र ही हैं। इन्ह...

कुकुरमुत्ता: पूंजीवादी सभ्यता पर करारा व्यंग्य

       कुकुरमुत्ता सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी द्वारा लिखी गई पूंजीवादी सभ्यता पर करारा व्यंग्य करती हुई एक लम्बी कविता है।यह कविता पहली बार 'हंस' मासिक पत्रिका के मई 1941 ...

कफ़न : सामाजिक विद्रूपता की कहानी

         कफ़न कथाक ार मु ंशी प्रेमचंद की सर्वश्र ेष्ठ कहानियों में से एक है , जिसका प्रकाशन चाँद पत्रिका के अप्रैल 1936 के अंक में हुआ था। सामाजिक विद्रूपता को दर्शाती यह कहानी ...

तोड़ती पत्थर : निराला जी की प्रगतिवादी कविता

        तोड़ती पत्थर कविता हिन्दी काव्य जगत के मूर्धन्य कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की सन् 1935 ई. में लिखी गई एक प्रगतिवादी कविता है। यद्यपि निराला जी छायावाद के प्रतिनिध...

जयशंकर प्रसाद और उनका काव्य संसार

      जयशंकर प्रसाद छायावाद के प्रवर्तक कवि थे।इनका जन्म सन् 1889 में काशी के सुंघनी साहू परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम देवीप्रसाद खत्री था। बचपन में ही इन्होंने पहले म...