स्वामी रामतीर्थ और उनके विचार
भारत में समय समय पर अनेक महापुरूष हुए हैं जिन्होंने अपने उच्च विचारों से समाज में लोगों की सोच बदलकर अनेक सामाजिक सुधार के काम किए हैं। धार्मिक आन्दोलनों में स्वामी रामतीर्थ ऐसे ही युग प्रवर्तक महापुरूष थे। वे वेदान्त अनुयायी और सन्यासी थे। जिनके विचारों से देश के साथ विदेशों में भी बहुत सारे लोग प्रभावित थे। वे एक आदर्श विद्यार्थी, आदर्श गणितज्ञ, अनुपम समाज-सुधारक व देशभक्त, दार्शनिक कवि और प्रज्ञावान सन्त थे। स्वामी रामतीर्थ का जन्म सन् 1873 में 22 अक्टूबर को दीपावली के दिन पंजाब के गुजरावालां जिले के मुरारीवाला गाँव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम पण्डित हीरानन्द गोस्वामी था | जो एक गरीब ब्राह्मण थे। बचपन में शिक्षा के लिए इन्हें अत्यंत संघर्ष करना पड़ा | बड़े संघर्ष से उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की। वे गणित में बहुत मेधावी थे। आगे चलकर कॉलेज में गणित के प्रोफेसर बने | यह साधारण जीवन जीते थे और निर्धन बच्चो को पढ़ाने में अपनी आमदनी का एक बड़ा भाग लगा दिया करते थे | पर उन्हें इसमे जीवन का सही आनंद नही आ रहा था | स्वामी रामतीर्थ जब विद्यार्थी थे तब से ही उनक