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विजयदेव नारायण साही: नयी कविता के प्रमुख कवि

    विजयदेव नारायण साही नयी कविता के प्रतिष्ठित कवि और तीसरे सप्तक के प्रमुख कवि हैं। उनकी कविताओं में लघु मानव का चित्रण प्रमुखता से हुआ है। यह लघु मानव समाज के गरीब और शोषित मजदूर वर्ग है। वे कवि के साथ ही आलोचक भी थे। विजयदेव नारायण साही का जन्म 7 अक्टूबर सन् 1924 ई॰ को कबीर चौरा, वाराणसी में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री ब्राह्मदेवनारायण साही तथा माता का नाम सूरतवन्ती साही था।    साही जी ने 1948 ई॰ में एम॰ए॰ पास किया और उसके बाद काशी विद्यापीठ में अध्यापन का कार्य आरंभ कर दिया। 1970 में वे इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी विभाग में रीडर हुए और 1978 में वहीं प्रोफ़ेसर भी हुए। विजयदेव नारायण साही नयी कविता आंदोलन के कवि थे। इस आंदोलन के माध्यम से साही जी ने अपना पूरा जीवन शोषित मजदूरों एवं महिलाओं के उत्थान के लिए लगाया। और उनके जीवन पर आधारित यथार्थपरक कविताएं भी लिखते थे।उन्होंने कालीन-बुनकरों को संगठित कर उनका यूनियन बनाया और उनकी लड़ाई लड़ते रहे। महिला कताईकारों के लिए भी संघर्ष किया और उन्हें उचित वेतन दिलवाया। साही जी कानून की पुस्तकें पढ़ कर मजदूरों के मुकदमे को हाई कोर्