वेदना



आंँखों से बहते अश्रुकण
बिन बोले सब कुछ कह जाते
मिट जाते हिय के शूल सब
संताप अश्रु संग बह जाते
वेदना की तीव्रतम धारा में
मन मैल सभी के धुल जाते
खिल जाते प्रेम के पुष्पकण
मन बगिया व्याकुल महकाते
अलौकिक अपनी आभा से
जीवन का नव पथ दिखलाते

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